उर्वशी और पुरुरवा Part W

विवस्वान के पुत्र मनु , ,मनु के पुत्र इला ,इला के पुत्र पुरुरवा प्रतापी राजा थे ,पुरुरवा से आयु ,आयु से नहुष और नहुष से ययाति का जन्म हुआ था। 
अब आप पुरुरवा की कहानी सुने। पुरुरवा का शासन बहुत बड़ा था ,समुद्र के तेरह द्वीपों पर उसका  शासन था किन्तु अमानुषिक कार्यो के कारण इसे सुख के साथ दुःख भी उठाने पड़े ,शास्त्र  इसके सम्बन्ध में दो तरह की कहानी सुनाते  है ,एक कहानी में स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी को एक राक्षस   विमान में  रखकर उर्वशी को उसकी बिना  मर्जी के लिए जा रहा था ,उर्वशी उस  राक्षस से झगड़ा कर रही थी और रो रही थी ,यह देखकर पुरुरवा ने उस  राक्षस को मार दिया और उर्वशी को राक्षस की कैद से मुक्त कर दिया।
 पुरुरवा की शक्ति और बल देखकर उर्वशी उस पर मोहित हो गई ,उर्वशी स्वर्ग की अप्सरा थी और पुरुरवा एक मानव था ,उर्वशी को वापस स्वर्ग जाना था किन्तु उसने राजा से शादी कर ली ,स्वर्ग के देवता इंद्र के तथा स्वर्ग के नियम के यह विरुद्ध था ,इस कारण पुरुरवा को दुःख उठाने पड़े एक दिन उर्वशी स्वर्ग के दूतो के कहने पर पुरुरवा को छोड़कर स्वर्ग चली गई।
 पुरुरवा को इसका बहुत दुःख हुआ और वे उर्वशी के बिना पागलो की तरह रहने लगे हर समय वे उर्वशी को याद करते जंगलो में उर्वशी की तलाश करते पर उर्वशी नहीं मिली।
       दूसरी कहानी में स्वर्ग में एक बार नारद जी इंद्र से  पुरुरवा की बहुत प्रंशसा करते है उस समय उर्वशी वही थी ,नारद जी कहते है की पुरुरवा बहुत ही सूंदर और शक्तिशाली राजा है उसका विशाल शरीर और बड़ी आंखे है पृथ्वी पर उसके समान कोई वीर नहीं है ,यह सुनकर उर्वशी निर्णय लेती है की एक बार वह पुररवा को अवश्य देखेगी ,लेकिन यह स्वर्ग के नियम के विरुद्ध था। 
       उर्वशी पुरुरवा को देखने पृथ्वी पर आती है और राजा से मिलती है राजा भी उर्वशी को पसंद करता है ,दोनों शादी का प्रस्ताव रखते है पर उर्वशी शर्त रखती है की उसकी दो बकरी के बच्चे है उनकी जिम्मेदारी राजा ले और दूसरी शर्त यह रखती है की राजा कभी शयनकक्ष के बहार बिना वस्त्र के न मिले अगर जिस दिन ऐसा हुआ वह राजा को छोड़कर चली जाएगी।
 राजा ने दोनों बातें स्वीकार कर ली। पुरुरवा उर्वशी को बहुत चाहने लगा। इस पर स्वर्ग में देवता पुरुरवा से जलने लगे। इंद्र ने अपने गणो से बात की और पुरुरवा से बदला लेने की योजना बनाई। बदला लेने के लिए पृथ्वी पर गण  आ गए और पुरुरवा के महल में आकर  गणो ने रात में जब उर्वशी और पुरुरवा सो रहे थे उस  शयन कक्ष के   बहार आवाज़ लगाई।उर्वशी जाग गई और राजा को जागते हुए कहा की राजन कोई बाहर  मेरी प्रिय  भेड़ो [बकरी] को कोई ले जा रहा है।  राजा महल से  बाहर की और दौड़ा किन्तु कुछ दिखाई न दिया।
 ऐसा कई बार गणो ने किया।  एक दिन फिर आवाज़ आयी और उर्वशी ने राजा को फिर जगाया  और कहा राजन कोई मेरी प्यारी  भेड़ो को ले जा रहा है अबकी बार  राजा बिना वस्त्र पहने ही रात में  कक्ष से बाहर आ गया किन्तु कोई दिखाई न दिया।
 कक्ष में वापस आने पर उर्वशी ने कहा राजन तुमने शर्त तोड़ दी है ,आपने बचन दिया था की कभी बिना वस्त्र के आप कक्ष से बाहर आप कभी नहीं जायेंगे पर आप गए अतः अब मै आपको छोड़ कर जा रही हूँ.ऐसा कहकर उर्वशी गायब हो गई।
 उर्वशी के स्वर्ग में चले जाने के बाद पुरुरवा उसकी याद में बहुत दुखी रहने लगे वे उसकी यादो में खोकर पागलो की तरह बातें करने लगे और पुरुरवा के बिना जीना उनके लिए मुश्किल हो गया। वे हर उस जगह जाते जहाँ कभी वे उर्वशी के साथ गए थे। स्वर्ग से जब उर्वशी ने राजा को  देखा तो एकदिन वह उनसे मिलने आयी और बचन दिया की वर्ष के अंतिम दिन वह राजा से मिलने हर बार आएगी लेकिन वर्ष में एक ही दिन और एक ही बार मिल सकेगी। लेकिन पुरुरवा के लिए यह भी एक सजा ही थी ,पुरुरवा बिना उर्वशी के दुखी दुखी रहने लगे। 

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