Origin of Budh बुध का जन्म Part Y
बुध का जन्म
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ऋषि अंगिरा पुत्र वृहस्पति थे ,वृहस्पति की पत्नी तारा थी ,एक कहानी के अनुसार वृहस्पति में उभय लक्षण थे अर्थात वे स्त्री और पुरुष दोनों बन सकते थे। अतः वृहस्पति ही तारा हुए। ऋषि अत्रि के नेत्रों से चन्द्रमा का जन्म हुआ था। चन्द्रमा ब्राह्मणों और ओषधि के स्वामी है। चन्द्रमा ने राजसूय यज्ञ और तीनो लोको पर विजय प्राप्त की थी जिससे उनका घमण्ड बढ गया था .
एक बार चन्द्रमा की सुन्दरता देख कर वृहस्पति की पत्नी उन पर मोहित हो गई ,इस पर चन्द्रमा तारा को वृहस्पति से चुरा लाया ,वृहस्पति ने चन्द्रमा को बहुत समझाया पर चन्द्रमा नही माना और चन्द्रमा ने तारा को वृहस्पति को नही दिया .वृहस्पति के बार बार याचना करने पर भी चन्द्रमा ने वृहस्पति की पत्नी तारा को वृहस्पति को नही लौटाया ,ऐसी परिस्थित में देवताओ और दानवो में युद्ध छिड गया .
असुरो के गुरु शुक्राचार्य चन्द्रमा के पक्ष में हो गये .क्योकि शुक्राचार्य हमेशा ही वृहस्पति के विरोध में रहते थे .महादेव ने प्रेम वश वृहस्पति का पक्ष लिया .देव राज इंद्र भी सभी देवताओ के साथ चन्द्रमा के साथ रहे .इस प्रकार तारा के कारण घोर संग्राम हुआ .जब बात न बनी तो अंगिरा ऋषि ने ब्रह्मा जी से युध बंद करने की प्रार्थना की .
ब्रह्मा जी के समझाने के बाद युद्ध बंद हुआ तारा को वृहस्पति को सौंप दिया गया .किन्तु जब यह पता लगा की तारा गर्भवती है तो वृहस्पति ने तारा को बहुत बुरा भला कहा और पूछा कि यह गर्भ किसका है किन्तु तारा ने नही बताया ,वृहस्पति ने तारा से तुरंत ही गर्भ को निकालने के लिए कहा .जब तारा के पुत्र हुआ तो वह बहुत सुंदर और सोने की तरह चमक रहा था ,अब वृहस्पति ने कहा कि यह मेरा पुत्र है ,चन्द्रमा ने कहा यह मेरा पुत्र है ,जब देवताओ ने तारा से पूछा कि किसका पुत्र है तो तारा ने लज्जा के कारण कोई उत्तर न दिया.
कुछ समय बाद पुत्र ने स्वयं माँ से पुछा तू किस लज्जा के कारण मेरे पिता का नाम नही बता रही .मुझे मेरे पिता का नाम बता तब ब्रह्मा जी ने तारा को समझा बुझा के पुछा तब तारा ने कहा "चन्द्रमा" .
ब्रह्मा जी ने इस पुत्र का नाम रखा "बुध "बुध की बुद्धि स्थिर थी ऐसा सुनकर चन्द्रमा को बहुत आनन्द हुआ
इस तरह से बुध का जन्म हुआ .मनु की पुत्री इला और बुध से जो पुत्र हुआ वह पुरुरवा था .जिसने अप्सरा उर्वशी से विवाह किया था .
क्रमशः
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