पृथु का वंश Dynasty of Prathu Part AK
पृथु का वंश या ध्रुव का वंश एक ही है ,स्वयंभू मनु के दो पुत्र थे प्रियव्रत और उत्तानपाद।
उत्तानपाद के दो पुत्र हुए ध्रुव और उत्तम।
ध्रुव के पुत्र हुए कल्प और वत्सर।
वत्सर के पुष्पार्ण, तिग्मिकेतु इष ,ऊर्ज वसु और जय नामक 6 पुत्र हुए।
पुष्पार्ण के प्रदोष ,निशीथ और व्युष्ट ये ।
व्युष्ट के चक्षु। चक्षु से उल्मुक।
उल्मुक से अंग।
.अंग से वेन।
वेन से पृथु।
पृथु से विजिताश्व ,व्रक ,द्रविण हर्यक ,धूम्रकेश 5 पुत्र हुए ।
विजिताश्व की दो पत्नी थी शिखंडनी से पावक ,पवमान ,शुचि 3 पुत्र हुए।
दूसरी पत्नी नभस्वति से हविर्धान नामक पुत्र हुआ।
हविर्धान से बहिर्षद ,गए ,शुक्ल ,कृष्ण ,सत्य ,जितवृत नामक 6 पुत्र हुए।
बहिर्षद को ही प्राचीनबहेिृ नाम से जानते है।
प्राचीनबहेिृ का विवाह समुद्र की पत्नी शतुद्रित से हुआ था।
प्राचीनबहेिृ और शतद्रुति से 10 प्रचेता उत्पन्न हुए। जब पिता ने उन्हें संतान उत्पन्न करने का आदेश दिया तो इन्होने समुद्र में प्रवेश करके 10 हजार वर्ष तक तपस्या की थी। जब ये तपस्या करने चले तो रास्ते में इन्हे शंकर महादेव जी मिले उन्होंने इन्हे तपस्या और इनके कल्याण के लिए ज्ञान दिया उसके बाद ये नियमो को ध्यान में रखकर तपस्या करने लगे। 10 हजार वर्ष गुजर जाने के बाद श्री हरि ने उन 10 प्रचेताओ को दर्शन दिए और और उनके कल्याण की बातें बतायी श्री हरि ने कहा की प्रचेताओ ऋषि कण्डु की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र ने प्रम्लोचा नामक कमलनयनी अप्सरा भेजी थी जिससे कण्डु और प्रम्लोचा से एक कन्या उत्पन्न हुई है उसे प्रम्लोचा वृक्षो में छोड़ के चली गई थी जिसे चन्द्रमा की कृपा से वह जीवित बनी रही तुम सभी उससे विवाह कर लो। उस कन्या का नाम मारिषा था। इसी कन्या से दक्ष ने पुत्र रूप में जन्म लिया। दक्ष की कन्या से ही शिव ने विवाह किया क्योकि पिछले मन्वन्तर में शिव की पत्नी सती ने अपना शरीर त्याग दिया था अतः नए जन्म में सती ने जन्म लिया और उनके पिता दक्ष ने भी नया जन्म लेकर सती के पिता हुए। प्रचेताओं ने 10 लाख वर्ष तक पृथ्वी के सुख भोगे और वैदिक नियमो से राज किया फिर वे पश्चिम दिशा में जहां जाजलि मुनि ने सिद्ध की थी वहां जाकर पृथ्वी लोक से वापस श्री हरि के धाम चले गए। इस प्रकार से ध्रुव और पृथु वंश का विवरण शास्त्रों से प्राप्त होता है अब आप मनु के दो पुत्रो उत्तानपद के बाद प्रियव्रत के वंश को Part AL में देखे।
क्रमशः
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