Part L-Ved Vyas & Mahabarat

वेद व्यास ने ही महाभारत की रचना की थी ,वेद व्यास का पूरा नाम श्री कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास था ,व्यास जी वेदो के ज्ञाता और संहिताओं के निर्माता थे ,महाभारत जिसे जय सहिंता भी कहा जाता है के रचियता थे,महाभारत में नहीं है वह कही भी नहीं है सम्पूर्ण ज्ञान को वेद व्यास जी ने महाभारत में संकलित किया है। विश्व की रचना और मानव वंश का सम्पूर्ण संकलन है। व्यास जी कहते है की पहले संसार में एक अंडा था और पूरे ब्रह्माण्ड में अन्धकार के सिवाय कुछ न था। ..इस अंडे केफूटने पर  इसमें से ब्र्ह्मा जी  का जन्म हुआ। ब्रह्मा जी से दक्षः प्रजेता ,7 पुत्र ,7 ऋषि ,14 मनु ,13 कन्याएँ  ,विवस्वान के 12 पुत्र ,हुए। इन 14 मनुओ में वेवस्वतु मनु ही हमारे वास्तविक मनु है ,काल गणना के अनुसार एक कल्प में 14 मन्वन्तर होते है। हमारा सातवाँ मन्वन्तर चल रहा है इसके स्वामी या रचनाकर वेवस्वतु मनु ही है।  वेवस्वतु मनु ,विवस्वान के पुत्र थे ,विवस्वान का अर्थ है सूर्य ,इस प्रकार मनु सूर्य के पुत्र थे। हम सब मनु की ही संताने है ,मनु से ही MAN ,मानव ,आदम और आदमी बना है। इन शब्दों पर मनु का ही प्रभाव है। मनु के दो पुत्र हुए 1 -प्रियव्रत २-उत्तानपाद , प्रियव्रत के दस पुत्र हुए और उत्तानपाद के दो पुत्र 1 -ध्रुव 2 उत्तम अब ध्रुव की कहानी आगे सुने।
क्रमशः 

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