Part D King Puru

Part D- ययाति देवयानी और शर्मिष्ठा सहित अपने राज्य मे आ गए, देवयानी अन्त:पुर मे और शर्मिष्ठा महल से बाहर एक अशोक वाटिका मे रहने लगी। एक वार ययाति वाहर टहल रहे थे, शर्मिष्ठा ने ययाति से कहा कि आप एक क्षत्रिय है और मै भी एक राजा की पुत्री हूं देवयानी के साथ मैने भी आपको अपना पति स्वीकार किया है अत:आप मुझे पुत्र देने की कृपा करे, ययाति सहमत हो गए, शर्मिष्ठा से तीन पुत्र द्रुह,अनु और पुरू ने जन्म लिया और देवयानी के दो पुत्र हुए यदु और तुर्वसु। जब देवयानी को यह पता चला कि शर्मिष्ठा के तीन पुत्रो के पिता राजा ययाति है तो वह क्रुद्ध होकर अपने पिता शुक्राचार्य के पास आ गई और राजा की शिकायत अपने पिता से की, शुक्राचार्य ने यह सुनकर राजा को श्राप दिया कि वह अपना यौवन खोकर शीघ्र ही वृद्ध हो जाए और वुढापा आ जाए। राजा को वृद्धावस्था मे आना पडा और दुखी हुआ। राजा ने शुक्राचार्य से प्रार्थना की वह अभी देवयानी के साथ वैवाहिक जीवन जीना चाहता है अत:उसे युवा कर दिया जाए, शुक्राचार्य ने वरदान दिया कि यदि वह अपने पुत्र से यौवन प्राप्त करे तो उसे फिर से जवानी मिल सकती है। राजा ने देवयानी के दौनो पुत्रो से यौवन मांगा किन्तु दोनो पुत्रो ने मना कर दिया फिर राजा ने शर्मिष्ठा के पुत्रो से प्रार्थना की यदि उसकी प्रार्थना कोई स्वीकार करता है तो उसे सम्पूर्ण राज्य दे दिया जाएगा, शर्मिष्ठा के पुत्र पुरू ने यह शर्त स्वीकार कर ली, पुरू वृद्ध हो गए और राज्य को धर्म और नीति पर चलाते हुए समय व्यतीत किया। राजा ययाति फिर से युवा होकर हजार वर्षों तक सुख भोगते रहे किन्तु फिर भी सन्तुष्ट न हुए अन्त मे उन्होने वैराग्य धारण किया। राजा ययाति सुखो से सन्तुष्ट क्यो नही हो सके और वे क्यो वैराग्य धारण कर स्वर्ग गए और स्वर्ग का मार्ग कैसा है यह जानने के लिए अगली कथा सुने। क्रमशः

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