Part N- Bhakt Prahalad
ब्रह्मा की 13 पुत्रियां थी जिसमे एक का नाम दिति था ,दिति के पुत्र का नाम हिरण्यकश्यप था हिरण्यकश्यप असुर जाति का था। जिसकी पत्नी का नाम कयाधु था। हिरण्यकश्यप के पांच पुत्र हुए प्रह्लाद सँहाद ,अनुहाद, शिबि ,और वाष्कल था ।प्रह्लाद एक अद्भुत बालक था जो विष्णु का भक्त था। प्रह्लाद के तीन पुत्र थे विरोचन ,कुम्भ,निकुम्भ।विरोचन के पुत्र का नाम बलि और बलि के पुत्र का नाम बाणासुर था। वाणासुर भगवन शंकर का भक्त हुआ। वाणासुर ही महाकाल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद के पिता विष्णु भगवान से द्रोह करते थे और विष्णु की निंदा करते थे। प्रह्लाद को यह अच्छा न लगता। प्रह्लाद ने अपने पिता को बहुत समझाया किन्तु हिरण्यकश्यप न माने बदले में वे प्रह्लाद को हरी अर्थात विष्णु का नाम लेने पर पुत्र को दंड देते। हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में घोषणा कर दी थी कि कोई हरी या विष्णु का नाम नहीं लेगा। प्रह्लाद को अपने पिता का यह शासन अच्छा न लगा। हिरण्यकश्यप के बार बार मना करने पर भी प्रह्लाद जब नहीं माने तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया। होलिका को इस बात का बरदान था की वह आग में जल नहीं सकती थी। हिरण्यकश्यप ने होलिका से कहा की तुम प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ जाओ जिससे प्रह्लाद की मृत्यु हो जाये। होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई यह सोचते हुए की प्रह्लाद जलकर मर जायेगा किन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद तो जलने से बच गया किन्तु होलिका आग में जलकर भस्म हो गयी जबकि होलिका को न जलने की शक्ति थी। हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से प्रजा और प्रह्लाद भयभीत रहते थे। हिरण्यकश्यप रोज रोज विष्णु के नाम लेने वालो पर अत्याचार कर रहा था एक दिन विष्णु स्वयं नरसिम्हा का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप के महल में आकर हिरण्यकश्यप का वध कर देते है। नरसिम्हा भगवान का वह रूप है जिसमे आधा मानव और आधा सिंह होता है। यह कहानी सत युग की है। किसी कहानी या इतिहास को समझने के लिए पात्र और समय का महत्व होता है। सतयुग,द्वापर ,त्रेता और कलयुग से एक चतुर्युगी बनती। 71 [seventy one } चतुर्युगी से एक मन्वन्तर बनता है। एक मनु से एक मन्वन्तर बनता है। कुल 14 मनु है। बर्तमान में सातवे मनु का नाम वैवस्वत मनु है. अब आप ब्रह्मा की 13 पुत्रियाँ की कहानी सुने। क्रमशः
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