Vivshvan- Part RS

विवस्वान का अर्थ है सूर्य।
आइये अब विवस्वान के बारे में जानते है जैसा कि आप जानते है ब्रह्मा के पुत्र मरीच ,सप्त ऋषियों में से एक थे। मरीच के पुत्र कश्यप थे। इन्ही कश्यप की 13 पत्नियों में से एक अदिति थी। अदिति के 12 आदित्य [पुत्र ]हुए। जिनमे से एक इंद्र और एक विवस्वान थे , विवस्वान की पत्नी संज्ञा थी।  संज्ञा के पिता विश्वकर्मा थे। और यही विश्वकर्मा देवताओ के वास्तुकार थे।   विश्वकर्मा की दूसरी पुत्री बहिर्ष्मती का विवाह प्रियव्रत के साथ हुआ था। 

विवस्वान और संज्ञा से एक कन्या यमुना तथा दो पुत्र  वैवस्वत मनु और यम हुए। वैवस्वत मनु ही हमारे मनु है।
मनु ने ही इस सृष्टि का निर्माण किया। समय के अनुसार कुल 14 मनु हुए है ,वर्तमान मनु का नाम वैवस्वत मनु है। कुल 14 मनु का नाम है -
1 -स्वयंभू मनु
2 -स्वरोचित मनु 
3 -उत्तम मनु 
4 -तामस मनु 
5 -रेवत मनु 
6 -चाक्षुसी  मनु
7 - वैवस्वत मनु
8 -सावर्णि मनु
9 -दक्ष-सावर्णि मनु
१०-व्रह्म -सावर्णि मनु
11 -रूद्र -सावर्णि मनु
12 -देव -सावर्णि मनु
13 -रौच्य -सावर्णि मनु
14 -इंद्र -सावर्णि मनु
वर्तमान मनु, 7 वे वैवस्वत मनु है
यहाँ यह भी जाने कि सतयुग, त्रेता ,द्वापर ,कलयुग से एक चतर्युग बनता है और 71 चतुर्युग मिल कर एक मन्वन्तर बनाते है ,प्र्त्येक मन्वन्तर में एक नए मनु होते है। अब तक 6  मन्वन्तर बीत चुके है। यह सातवां चल रहा है। इस प्रकार एक मन्वन्तर में 71 बार सतयुग 71 बार त्रेता 71  द्वापर 71 बार कलयुग होता है। विवस्वान के पुत्र यम ही धर्मराज है जो मृत्यु के देवता है वैवस्वत मनु को ही श्राद्ध देव मनु कहा जाता है इनकी पत्नी का नाम है श्रद्धा ,,जिन्हे वैवस्वत मनु ने अपने शरीर से ही उत्पन्न किया था। मनु ने ही मनु संहिता की रचना की थी। विश्व में सभी मनु की ही संताने है।सूर्य वंश मनु के नाम से जाना जाता है क्योकि मनु सूर्य  के पुत्र थे। मनु के 10 पुत्र हुए ,जिनके नाम वेन,धृष्णु ,नरिष्यन्त, नाभाग,इक्ष्छाकु ,कारूप ,शर्याति ,इला ,कन्या ,प्रषघ्र और नभारिष्ट हुए , मनु के 50 पुत्र और भी हुए पर वे आपस में लड़मर गए और समाप्त हो गए। इला के पुत्र पुरुरवा थे ,पुरुरवा समुद्र के 13 दीपो का राजा हुआ। यह मानव होने पर भी अमानुषिक कार्य करता था।यह वही पुरुरवा है जिसने स्वर्ग से तीन प्रकार की  अग्नि और उर्वशी को ले आया था।  इसने अपने बल से ब्राह्मणो का बहुत सा धन और आभूषण  छीने  थे ,सनत्कुमार ब्रह्म लोक से आकर इसे बहुत समझाया परन्तु इस पर कोई असर नहीं हुआ और इसको ऋषियों ने श्राप दिया जिससे यह नाश को प्राप्त हुआ। उर्वशी और पुरुरवा से 6 पुत्र हुए आयु ,धीमान, अमावसु, दृणायु, वनायु और शतायु।आयु के पुत्र नहुष बड़े बुद्धिमान और ज्ञानी थे सच्चे वीर थे धर्म के अनुसार शासन किया अभिमान के कारण उन्होंने ऋषि मुनियो से पालकी उठवाई जिससे नहुष का विनाश हुआ। इन्ही नहुष के यति ययाति संयाति आयति और ध्रव हुए यति योग साधना में लग गए और ययाति ने राज्य को संभाला। ययाति की दो पत्निया थी देवयानी और शर्मिष्ठा जिनकी कहानी आपने Part B में सुनी है।अब आप कच और देवयानी की कहानी सुने
क्रमशः 

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