Part H -Ganga Putra Bhishm

इधर पुरु वंश के राजा प्रतीप गंगा के तट पर अपनी पत्नी के साथ यज्ञ कर रहे थे। तब गंगा अपने सौंदर्य के साथ नदी से बहार आकर प्रकट हुई। गंगा के सौंदर्य को देख कर राजा ने गंगा  से पूछा कि आप कौन   है?गंगा ने कहा की राजन में आपके पुत्र की पत्नी  बनूगी राजा ने गंगा का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।राजा प्रतीप के जब महाभिष ने जन्म लिया तो  राजा प्रतीप शांत रहने लगे इस कारण  से महाभिष के रूप में जन्म लेने वाले पुत्र का नाम शांतुन  रखा गया।   राजा प्रतीप जब बृद्ध हो गए तब उन्होंने अपने   पुत्र शांतुन  से कहा की पुत्र भविष्य में यदि कोई अनुपम सुंदरी आये और विवाह का प्रस्ताव रखे तो तुम माना  मत करना वह गंगा होगी।इसके बाद राजा जंगल में तप करने चले गए।  एक दिन ऐसा ही हुआ राजा महाभिष [शांतुन ] के दरबार में एक सूंदर युवती ने प्रवेश किया और शांतुन को उनके पिता के बचन को याद दिलाया।राजा शांतुन ने गंगा का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया किन्तु गंगा ने कहा कि  आप मुझसे कोई ऐसी बात नहीं कहेंगे जिससे  में नाराज हो जायूँ यदि ऐसा किया तो में वापस गंगा नदी में चली जाऊंगी। राजा शांतुन तैयार   गए।  गंगा के एक के बाद एक सात पुत्र हुए वह सभी को गंगा में डाल  देती किन्तु राजा शांतुन इस कारण  कुछ नहीं कहते की कही  गंगा नाराज न हो जाये किन्तु आंठवे पुत्र पर राजा ने गंगा का प्रातिरोध  किया तब गंगा ने राजा से कहा की राजन अब आपका बचन टूट रहा हे और में अब वापस नदी में जाउंगी किन्तु यह आठवां पुत्र जीबित रहेगा और इस के कोई संतान नहीं होगी यह भीष्म के नाम से प्रसिद्ध होगा याद होगा की आठ वसु  ही गंगा के पुत्र रूप में जन्मे थे जिनमे सात जल्दी ही स्वर्ग चले गए। 
क्रमशः 

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