Marriage of Devyani Part C

Part C - ययाति देवयानी को कुएं से बाहर निकाल कर अपने राज्य वापस आ गए। देवयानी ने अपनी दासियों से सूचना भिजवाई कि शर्मिष्ठा से  उसका झगडा हुआ है और शर्मिष्ठा उसे कुऐं मे धकेल कर चली गई थी अत:वह वापस अपने पिता के पास नही जाएगी जबतक कि शर्मिष्ठा को उचित दण्ड न मिल जाए। वस्तुत:शर्मिष्ठा के  पिता शुक्राचार्य   वृषपर्वा  के राज्य मे असुरो के गुरू थे. शुक्राचार्य और देवयानी इन्ही के राज्य मे रहते थे, देवयानी के शिकायत करने पर शुक्राचार्य वृषपर्वा नगर छोड कर चलने को तैयार हो गए, किन्तु शर्मिष्ठा के पिता वृषपर्वा ने माफी मांगी और शुक्राचार्य की स्तुति की और राज्य न छोडने की बात की इस पर देवयानी ने शर्मिष्ठा के सामने शर्त रख दी कि यदि वह दासी वनकर देवयानी के साथ रहती है तो ठीक है, शर्मिष्ठा ने शर्त स्वीकार कर ली, एक बार देवयानी और शर्मिष्ठा वन मे टहल रही थी तब राजा ययाति फिर एक बार मिले, देवयानी ने राजा को याद दिलाते हुए कहा कि आप ने ही सर्व प्रथम मेरा हाथ कुएं से निकालते समय पकडा था अत:आप ही मेरे जीवनसाथी है, अब आप मुझसे विवाह करे। ययाति ने इस पर विचार करते हुए शुक्राचार्य से कहा कि आप ब्राह्मण है और देवयानी भी ब्राह्मण ही है जबकि मै स्वयं क्षत्रिय हूं विवाह कैसे सम्भव है तब मुझे पाप लगेगा, तब शुक्राचार्य ने कहा कि हम तुम्हारे पापो को नष्ट कर देगें और देवयानी के साथ आप शर्मिष्ठा को भी लेते जाइए यह उसकी दासी है। किन्तु शर्मिष्ठा को कभी सेज पर मत वुलाना, यह सुनकर ययाति देवयानी को शर्मिष्ठा सहित अपने राज्य मे विवाह करके ले आया। आगे की कथा सुने कि कैसे शर्मिष्ठा का पुत्र पुरू जो ययाति का पुत्र था राजा वना। क्रमशः 

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