14 मनु Part AR
- मन्वन्तर समय की एक गणना है ,प्रत्येक मन्वन्तर में सतयुग ,त्रेता ,द्धापर और कलयुग होते है ,एक मन्वन्तर में 71 बार सतयुग ,त्रेता ,द्धापर और कलयुग होते है प्रत्येक मनवन्तर में एक मनु होता है पुराणों में कुल 14 मनुयों का विवरण है,वर्तमान में सातवां मन्वन्तर चल रहा है ,इसके वैवस्वत मनु है
- वैवस्वत मनु ही हमारे मनु है।
- मनु ने ही वर्तमान सृष्टि का निर्माण किया। समय के अनुसार कुल 14 मनु हुए है ,वर्तमान मनु का नाम वैवस्वत मनु है। कुल 14 मनु का नाम है -
- 1 -स्वयंभू मनु
- 2 -स्वरोचित मनु
- 3 -उत्तम मनु
- 4 -तामस मनु
- 5 -रेवत मनु
- 6 -चाक्षुसी मनु
- 7 - वैवस्वत मनु
- 8 -सावर्णि मनु
- 9 -दक्ष-सावर्णि मनु
- १०-व्रह्म -सावर्णि मनु
- 11 -रूद्र -सावर्णि मनु
- 12 -देव -सावर्णि मनु
- 13 -रौच्य -सावर्णि मनु
- 14 -इंद्र -सावर्णि मनु
- वर्तमान मनु, 7 वे वैवस्वत मनु है
- यहाँ यह भी जाने कि सतयुग, त्रेता ,द्वापर ,कलयुग से एक चतर्युग बनता है और 71 चतुर्युग मिल कर एक मन्वन्तर बनाते है ,प्र्त्येक मन्वन्तर में एक नए मनु होते है। अब तक 6 मन्वन्तर बीत चुके है। यह सातवां चल रहा है। इस प्रकार एक मन्वन्तर में 71 बार सतयुग 71 बार त्रेता 71 द्वापर 71 बार कलयुग होता है। मनु की पत्नी शतरूपा है ,,जिन्हे वैवस्वत मनु ने अपने शरीर से ही उत्पन्न किया था
- 1 -स्वयंभू मनु
- अभी हमने सातवें मनु की चर्चा की अब हम प्रथम मनु अर्थात स्वयंभू मनु को जानते है -
- सवयंभु मनु के अग्नीघ्र नाम के अनेक पुत्र हुए। सप्त ऋषि थे1- मरीच 2-अत्रि 3-अंगिरा 4-पुलत्स्य 5-पुलह 6-क्रतु 7-वशिष्ठ। देवताओं के 12 गण थे जय ,अमित ,शुक्र एवं याम जिनमे 4 सोमपायी थे। इसमें इंद्र का नाम विश्वभुक और वामदेव हुआ। वाष्कलि नामक उनका दैत्य था। वह भगवान विष्णु के चक्र से मारा गया।
- 2 -स्वरोचित मनु
- दूसरे मन्वन्तर में मनु हुए स्वरोचित मनु ,स्वरोचित मनु के पुत्र हुए चैत्रक ,विनत ,कर्णान्त,विध्युत ,रवि ,बृहद्गुण ,और नभ आदि पुत्र हुए। सप्त ऋषि थे -1-ऊर्ज ,2-स्तम्ब ,3-प्राण ,4-ऋषभ ,5-निश्चल ,6-दतौलि और 7-अर्वरीवान। देवता थे द्वादश ,तुषित ,पारावत। इंद्र थे विपष्चित और शत्रु थे पुरुकृतसर जिसे भगवान विष्णु ने मधुसूदन हाथी का रूप रखकर मारा था।
- 3 -उत्तम मनु
- तीसरे मन्वन्तर में उत्तम मनु हुए इनके पुत्र हुए -अज ,परशु ,विनीति ,सुकेतु ,सुमित्र ,सुबल ,शुचि ,देव ,देवावृध ,महोत्साह ,और अजित। सप्त ऋषि थे -1-राथोजा ,उर्ध्वबाहु 3-शरण 4-अनघ 5-मुनि 6-सुतप 7-शंकु। देवता थे -वशवर्ति ,स्वधाम ,शिव ,सत्य ,प्रतर्दन ये गण थे प्रत्येक गण में 12 देवता थे। इंद्र थे स्वशान्ति और शत्रु था प्रलम्बासुर। भगवान ने मत्स्य अवतार लेकर इस दैत्य का वध किया।
- 4 -तामस मनु
- चौथे मन्वन्तर में तामस मनु हुए। इनके पुत्र थे -जानुजंघ,निर्भय ,नवख्याति ,नय ,विप्रभृत्य ,विविक्षिप ,दृढ़ेषुधि,प्रष्तलाक्ष ,कृतबन्धु ,कृत ,ज्योतिर्द्धाम ,पृथु , काव्य ,चैत्र ,चेताग्नि और हेमक। सप्त ऋषि थे -सुरागा और सुधी। देवता थे - हरि और देवताओं के चार गण प्रत्येक गण में 25 देवता थे। उसी गण में शिवि इंद्र हुए और शत्रु भीमरथ था। विष्णु जी ने कूर्मावतार लेकर उसका वध किया।
- 5 -रेवत मनु
- पांचवा मन्वन्तर रेवत मन्वन्तर कहलाया इसके मनु रेवत थे ,इनके पुत्र हुए -महा प्राण ,साधक ,वनबंधु,निरमित्र ,प्रत्यंग। परहा ,शुचि दृढव्रत और केतुश्रंग ,ये सब ऋषि थे। सप्त ऋषि हुए 1- वेद श्री 2-वेदवाहु 3-उद्रबाहु 4-हिरण्यरोम ,5-पर्जन्य ,6-सत्यनेत्र 7-स्वधाम। देवता थे -अभूतरजस ,अश्वमेधस ,वैकुण्ठ और अमृत ये 4 देवगण हुए कुल 14 देवता थे। विभु इंद्र हुए और शत्रु का नाम था शान्त जिसे विष्णु ने हंस रूप से उसका विनाश किया।
- 6 -चाक्षुसी मनु
- इसमें
- इसमें चाक्षुस के पुत्र थे -उरु ,पुरु ,महाबल ,शतधुम्न ,तपस्वी ,सत्यवाहु ,कृति अग्निष्णु ,अतिरात्र,सुधुम्न और नर। सप्त ऋषि थे -1-हविष्मान 2-उत्तम 3-स्वधाम 4-विरज 5-अभिमान 6-सहिष्णु 7-मधु श्री। देवता थे -आर्य ,प्रभूत ,भाव्य ,लेख और पृथुकु ये देवता गण थे प्रत्येक में 8 देवता थे। इंद्र का नाम मनोजब हुआ। शत्रु का नाम महाकाल था जिसे विष्णु ने अश्व रूप में उसका वध किया
- 7 - वैवस्वत मनु
- वर्तमान में वैवस्वत मन्वन्तर चल रहा है। इसके मनु वैवस्वत है . वैवस्वत मनु की पत्नी शतरूपा है ,,जिन्हे वैवस्वत मनु ने अपने शरीर से ही उत्पन्न किया था। मनु ने ही मनु संहिता की रचना की थी। विश्व में सभी मनु की ही संताने है।सूर्य वंश मनु के नाम से जाना जाता है क्योकि मनु सूर्य के पुत्र थे। मनु के 10 पुत्र हुए ,जिनके नाम वेन,धृष्णु ,नरिष्यन्त, नाभाग,इक्ष्छाकु ,कारूप ,शर्याति ,इला ,कन्या ,प्रषघ्र और नभारिष्ट हुए , मनु के 50 पुत्र और भी हुए पर वे आपस में लड़मर गए और समाप्त हो गए। इला के पुत्र पुरुरवा थे ,पुरुरवा समुद्र के 13 दीपो का राजा हुआ। यह मानव होने पर भी अमानुषिक कार्य करता था।यह वही पुरुरवा है जिसने स्वर्ग से तीन प्रकार की अग्नि और उर्वशी को ले आया था।
- सप्त ऋषि हुए -1-अत्रि 2-वशिष्ठ 3-जमदग्नि 4-कश्यप 5-गौतम 6-भारद्धाज 7-विश्वामित्र। इंद्र का नाम तेजस्वी है और शत्रु हिरण्याक्ष है जिसे विष्णु ने वाराह अवतार लेकर उसका विनाश किया है।
- क्रमशः
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