कश्यप की पत्नियां Queen of Kshyap Part AO
कश्यप ऋषि मरिच के पुत्र थे। दक्ष की 13 पुत्रियां ही कश्यप की पत्नियां हुई।अदिति ,दिति ,दनु ,काष्टा ,अनिष्ठा ,सुरसा ,इला ,मुनि ,क्रोधा ,सुरभि ,सरमा ,ताम्रा ,तिमि ,
2 -दिति से दैत्य -हिरणाकश्यप हुआ जिसका पुत्र प्रह्लाद था पार्ट N देखे
3 -दनु से दानव,61 पुत्र
4 - काष्ठ से अश्व आदि एक खुर वाले पशु
5 -अरिष्ठा से गन्धर्व
6 -सुरसा से राक्षस ,यातुधान
7 -इला से वृक्ष लता आदि वनस्पतियां
8 -मुनि से अप्सरागण
9-क्रोधा या क्रूरा से सर्प विच्छू और एक गण
10-सुरभि से गौ और महिष दो खुर वाले पशु
11-सरमा से सियार ,व्याग्र हिंसक पशु
12-ताम्रा से श्येन-गृध्र आदि चील,बाज ,गिद्ध आदि शिकारी पक्षी।
13-तिमि से यादोगण (जलजन्तु)
3 दनु के 61 पुत्रो में जो मुख्य थेअब उन्हें समझे
दिवमूर्धा ,शम्बर ,अरिष्ट ,हयग्रीव ,विभावसु ,अयोमुख ,शंकुशीरा ,स्वर्भानु ,कपिल ,अरुण ,पुलोमा ,वृषपर्वा ,एकचक्र ,अनुतापन ,धूम्रकेश ,विरूपाक्ष,विप्रचित्त ,और दुर्जन , वैश्वानर ।
स्वर्भानु की कन्या सुप्रभा से नमुचि ने विवाह किया और वृषपर्वा की कन्या शर्मिष्ठा से नहुष नंदन [पुत्र ] ययाति ने विवाह किया
वैश्वानर की 4 सुन्दर कन्याएं थी उपदानवी, हयशिरा ,पुलोमा और कालका। इनमे से उपदानवी के साथ हिरण्याक्ष का हयशिरा के साथ क्रतु का विवाह हुआ वैश्वानर की शेष पुत्रियां पुलोमा और कालका से प्रजापति कश्यप से विवाह हुआ। इनसे पौलोम और कालकेय नाम के 60 हज़ार रणवीर दानव हुए। इन्हे नियात कवच कहा जाता है ,ये यज्ञ में विध्न डालते थे इसलिए अर्जुन ने इंद्र को प्रसन्न करने के लिए इन रणवीरो को मार दिया।
विप्रचित की पत्नी सिंहका 101 पुत्र जन्म लिए जिनमे से सबसे बड़ा था राहु शेष 100 पुत्रो का नाम केतु था
इन्ही कश्यप की 13 पत्नियों में से एक अदिति थी। कश्यप की पत्नी अदित से 12 आदित्यों का जन्म हुआ जिनके नाम इस प्रकार है
दिवमूर्धा ,शम्बर ,अरिष्ट ,हयग्रीव ,विभावसु ,अयोमुख ,शंकुशीरा ,स्वर्भानु ,कपिल ,अरुण ,पुलोमा ,वृषपर्वा ,एकचक्र ,अनुतापन ,धूम्रकेश ,विरूपाक्ष,विप्रचित्त ,और दुर्जन , वैश्वानर ।
स्वर्भानु की कन्या सुप्रभा से नमुचि ने विवाह किया और वृषपर्वा की कन्या शर्मिष्ठा से नहुष नंदन [पुत्र ] ययाति ने विवाह किया
वैश्वानर की 4 सुन्दर कन्याएं थी उपदानवी, हयशिरा ,पुलोमा और कालका। इनमे से उपदानवी के साथ हिरण्याक्ष का हयशिरा के साथ क्रतु का विवाह हुआ वैश्वानर की शेष पुत्रियां पुलोमा और कालका से प्रजापति कश्यप से विवाह हुआ। इनसे पौलोम और कालकेय नाम के 60 हज़ार रणवीर दानव हुए। इन्हे नियात कवच कहा जाता है ,ये यज्ञ में विध्न डालते थे इसलिए अर्जुन ने इंद्र को प्रसन्न करने के लिए इन रणवीरो को मार दिया।
विप्रचित की पत्नी सिंहका 101 पुत्र जन्म लिए जिनमे से सबसे बड़ा था राहु शेष 100 पुत्रो का नाम केतु था
इन्ही कश्यप की 13 पत्नियों में से एक अदिति थी। कश्यप की पत्नी अदित से 12 आदित्यों का जन्म हुआ जिनके नाम इस प्रकार है
1-धात
2 -मित्र
3-अर्यमा
4-शक्र [इन्द्र]
5 -वरुण
6-अंश
7-भग
8-विवस्वान
9-पूषा
10-सविता
11-त्वष्टा
12-विष्णु। [वाराह ]
जिनमे से एक इंद्र और एक विवस्वान थे , विवस्वान की पत्नी संज्ञा थी। संज्ञा के पिता विश्वकर्मा थे। और यही विश्वकर्मा देवताओ के वास्तुकार थे।सज्ञां ने ही घोड़ी का रूप रखकर भगवान सूर्य के द्वारा भूलोक में दो अश्वनीकुमारों को जन्म दिया।
जिनमे से एक इंद्र और एक विवस्वान थे , विवस्वान की पत्नी संज्ञा थी। संज्ञा के पिता विश्वकर्मा थे। और यही विश्वकर्मा देवताओ के वास्तुकार थे।सज्ञां ने ही घोड़ी का रूप रखकर भगवान सूर्य के द्वारा भूलोक में दो अश्वनीकुमारों को जन्म दिया।
विवस्वान और संज्ञा से एक कन्या यमुना तथा दो पुत्र वैवस्वत मनु और यम हुए। वैवस्वत मनु ही हमारे मनु है।
विवस्वान की दूसरी पत्नी थी छाया जिससे शनैश्चर और सावर्णि मनु नाम के दो पुत्र हुए और एक पुत्री हुई तपती ,तपती ने संवरण को पति माना।
क्रमश
विवस्वान की दूसरी पत्नी थी छाया जिससे शनैश्चर और सावर्णि मनु नाम के दो पुत्र हुए और एक पुत्री हुई तपती ,तपती ने संवरण को पति माना।
क्रमश
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