Shakuntla & Dushyant Part T
राजा दुष्यंत जन्म पिता राजा नहुष के पुत्र ययाति के की दो पत्नियों में एक देवयानी दूसरी शर्मिष्ठा थी। शर्मिष्ठा से दुह ,अनु और पुरु हुए। पुरु से पुरु वंश का उदय हुआ। अब आप पुरु वंश की 18वीं पीढ़ी के राजा दुष्यंत की कहानी सुने ,राजा दुष्यंत पुरु वंश के सबसे प्रतापी राजा थे। बहुत से म्लेच्छ प्रदेशो पर इनका अधिकार था। इनके राज्य में कोई वर्ण शंकर न था ,प्रजा सुखी थी समय पर वर्षा होती थी कोई पाप नहीं करता था न कोई चोरी तक नहीं करता था। एक बार राजा दुष्यंत अपनी चतुरङ्गिनी सेना लेकर जंगल और जा रहे जंगल पार कर लेने के बाद उन्हें एक उपवन दिखाई दिया ,उपवन के वृक्ष हरे थे और उन पर पुष्प और फूल लगे थे जिनसे मधुर सुगंध आ रही थी। उपवन के पास मालिनी नदी बाह रही थी। दूर तक पृथ्वी पर घास थी ,और पक्षी चहक रहे थे ,उस उपवन के पास एक आश्रम था ,शांतुन उस आश्रम तक गए। यह आश्रम कश्यप गोत्र के कण्व ऋषि का था। राजा ने अपने मंत्रियों को आश्रम के द्वार पर ही रोक दिया और आश्रम में प्रवेश किया। वहां उस समय कण्व ऋषि उपस्थित नहीं थे। राजा ने जोर से आवाज दी अंदर कौन ...