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Showing posts from 2020

राजा वलि King Vali Part AW

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हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष दोनों भाई थे इनकी माता का नाम दिति था और इनके पिता का नाम कश्यप था। हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष पिछले जन्म में जय और विजय के नाम के भगवान विष्णु के पार्षद [दरवारी ]थे . ,एक बार भगवान् श्री हरि जब योग मुद्रा में थे तब लक्ष्मी जी को भगवान् से मिलने को इन जय विजय ने रोका था और एक बार  सनकादि ऋषियों ने भी जब श्री हरि से मिलना चाहा तब भी इन जय विजय ने रोका था तब ऋषियों ने जय विजय को श्राप दिया और उन्हें दैत्य रूप में हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष के नाम से  जन्म लिया। हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष में सबसे पहले दिति के गर्भ में जो आया वह हिरण्यकशिपु था और जिसने सबसे पहले जन्म लिया वह  हिरण्याक्ष  हुआ।  हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रह्लाद हुए ,प्रह्लाद के पुत्र वलि हुए। वलि इंद्र को भी जीतने वाला दैत्य हुआ। एक दिन  हिरण्याक्ष सभी लोकपालों देवताओं को स्वर्ग में  डराते हुए वरुण देव की राजधानी विभावरीपुरी में जा पहुंचा और वरुण देव की हसीं की तब वरुणदेव ने उसे रसातल में विष्णु भगवान के पास जाने को कह दिया और कहा भला तुमसे शक्तिशाली कौन होगा ज...

हिरण्यकशिपु Hirnyakashipu Part AV

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दिति के दो पुत्र थे हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष जिसमे हिरण्याक्ष का वध विष्णु जी ने वराह अवतार लेकर कर दिया था और पृथ्वी को रसातल से लाकर लोक कल्याण और सृष्टि के लिए बचा लिया था जिसका विरोध हिरण्याक्ष ने किया था किन्तु मारा गया इससे हिरण्यकशिपु विष्णु का विरोधी हो गया। हिरण्यकशिपु ने अपने भाई हिरण्याक्ष के मारे जाने का आरोप विष्णु पर लगाया और अपने परिवार के लोगो द्धिमूर्धा ,त्रयक्षः ,शम्बर ,शतवाहु ,हयग्रीव ,नमुचि ,पाक विप्रचित्त  ,इल्वल   ,पुलोमा ,और शकुनि आदि से कहा देखो इस विष्णु ने हमारे भाई का वध किया है इसलिए हम विष्णु से बदला लेंगे इसके लिए वह मंदराचल पर्वत पर जाकर ब्रह्मा की तपस्या करने लगा उसने प्रण लिया की वह सम्पूर्ण जगत का राजा बनेगा और विष्णु का नाम मिटा देगा जगत में असुरों का ही राज रहेगा।  हिरण्यकशिपु की तपस्या से देवता भी विचलित हो गए वे भी ब्रह्मा से प्रार्थना करने लगे और ब्रह्मा से जाकर मिले तब ब्रह्मा जी स्वयं  हिरण्यकशिपु से मिले और तपस्या न करने की बात की फिर भी ब्रह्मा जी ने  हिरण्यकशिपु को आशीर्वाद में बहुत कुछ शक्ति दे दी। शक्...

मरुद गण 49 Marud Bunch 49 Part AU

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कश्यप की पत्नी दिति के दो पुत्र थे जिनके नाम थे 1- हिरण्याकश्यप और 2- हिरण्याक्ष। ये दोनों ही  दो दैत्य थे जिन्हे भगवान विष्णु ने किसी न किसी तरह से मार दिया था। दिति के 49 पुत्र और थे जिन्हे मरुद  गण कहा गया है। दिति ने इंद्र पर आरोप लगया कि उसने किसी न किसी तरह से हमारे दोनों पुत्रों को इंद्र ने विष्णु द्वारा मरवा दिया है। दिति ने अपने पति कश्यप  से प्रार्थना की और कहा कि देखो हमारी बहन और तुम्हारी दूसरी पत्नी अदिति के पुत्र इंद्र हमारे पुत्रों को मरवा देता है हमारे दो पुत्र मारे जा चुके है  हमे अब और पुत्र चाहिए ।दिति ने कश्यप से विनती की कि उसके ऐसा पुत्र हो जो इंद्र को मार सके।  कश्यप ने  दिति को एक व्रत करने को कहा जिसमे शर्त यह थी कि जल में घुस कर स्नान न करे ,क्रोध न करे ,दुष्टो से बात न करें ,विना धुला वस्त्र न पहने ,किसी की पहनी हुई माला न पहने ,भद्र काली का प्रसाद या मांस युक्त भोजन न ले ,अंजलि से पानी न पिए ,शूद्र का भोजन और रजस्वला स्त्री का देखा हुआ अन्न न खाये ,झूठे मुहं ,बिना चादर के ,बिना श्रृंगार के बाहर न जाए ,शाम...

पुरूरवा Pururva Part AT

विवस्वान के पुत्र मनु , ,मनु के पुत्र इला ,इला के पुत्र  पुरुरवा  प्रतापी राजा थे ,पुरुरवा से आयु ,आयु से नहुष और नहुष से ययाति का जन्म हुआ था।  अब आप पुरुरवा की कहानी सुने। पुरुरवा का शासन बहुत बड़ा था ,समुद्र के तेरह द्वीपों पर उसका  शासन था किन्तु अमानुषिक कार्यो के कारण इसे सुख के साथ दुःख भी उठाने पड़े ,शास्त्र  इसके सम्बन्ध में दो तरह की कहानी सुनाते  है ,एक कहानी में स्वर्ग की अप्सरा  उर्वशी  को एक राक्षस   विमान में  रखकर उर्वशी को उसकी बिना  मर्जी के लिए जा रहा था ,उर्वशी उस  राक्षस से झगड़ा कर रही थी और रो रही थी ,यह देखकर पुरुरवा ने उस  राक्षस को मार दिया और उर्वशी को राक्षस की कैद से मुक्त कर दिया।  पुरुरवा की शक्ति और बल देखकर उर्वशी उस पर मोहित हो गई ,उर्वशी स्वर्ग की अप्सरा थी और पुरुरवा एक मानव था ,उर्वशी को वापस स्वर्ग जाना था किन्तु उसने राजा से शादी कर ली ,स्वर्ग के देवता इंद्र के तथा स्वर्ग के नियम के यह विरुद्ध था ,इस कारण पुरुरवा को दुःख उठाने पड़े एक दिन उर्वशी स्वर्ग के दूतो के कहने पर पुरुरवा...

वैवस्वत मनु & श्राद्धदेव Vaivsawt Manu or Shradhdev Manu Part AS

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हम जानते है कि कुल 14 मनु है। जिनमे से 6 पूर्व में हो चुके है और वर्तमान में सातवें मन्वन्तर में वैवस्वत मनु ही हमारे मनु है जिनका नाम वैवस्वत मनु है। इन्हे ही श्राद्धदेव मनु भी कहा जाता है। श्राद्धदेव मनु की पत्नी का नाम श्रद्धा है. दस प्रचेताओं की पत्नी मरिषा  से दक्ष का जन्म हुआ था ,दक्ष की पत्नी थी आक्सनी ,[एक दक्ष इससे पूर्व भी हुए थे जो ब्रह्मा के पुत्र थे जिनकी पत्नी का नाम था प्रसूति ,प्रसूति स्वयंभू मनु की पुत्री थी ,जो प्रथम मनु थे] दक्ष की पत्नी आक्सनी की 60 पुत्रियां थी जिनमे से 13 का विवाह कश्यप से हुआ था। उन तेरह कन्यायों में से एक का नाम था अदिति।  कश्यप और अदिति से 8 पुत्र हुए जिनमे एक का नाम  था विवस्वान  , विवस्वान की पत्नी संज्ञा थी। विवस्वान और संज्ञा से श्राद्धदेव मनु अर्थात वैवस्वत मनु का जन्म हुआ। वैवस्वत मनु के पुत्र हुए     वेन,धृष्णु ,नरिष्यन्त, नाभाग,इक्ष्छाकु ,कारूप ,शर्याति ,इला ,कन्या ,प्रषघ्र  और  नभारिष्ट हुए ,  मनु के 50 पुत्र और भी हुए पर वे आपस में लड़मर कर नष्ट हो गए थे।  वैवस्वत मनु प...

14 मनु Part AR

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मन्वन्तर समय की एक गणना है ,प्रत्येक मन्वन्तर में सतयुग ,त्रेता ,द्धापर और कलयुग होते है ,एक मन्वन्तर में 71  बार सतयुग ,त्रेता ,द्धापर और कलयुग होते है प्रत्येक  मनवन्तर में एक मनु होता है पुराणों में  कुल 14 मनुयों का विवरण है,वर्तमान में सातवां मन्वन्तर चल रहा है ,इसके वैवस्वत मनु है  वैवस्वत मनु ही हमारे मनु है। मनु ने ही वर्तमान सृष्टि का निर्माण किया। समय के अनुसार कुल 14 मनु हुए है ,वर्तमान मनु का नाम वैवस्वत मनु है। कुल 14 मनु का नाम है - 1 -स्वयंभू मनु 2 -स्वरोचित मनु  3 -उत्तम मनु  4 -तामस मनु                                                          5 -रेवत मनु 6 -चाक्षुसी  मनु 7 - वैवस्वत मनु 8 -सावर्णि मनु 9 -दक्ष-सावर्णि मनु १०-व्रह्म -सावर्णि मनु 11 -रूद्र -सावर्णि मनु 12 -देव -सावर्णि मनु 13 -रौच्य -सावर्णि मनु 14 -इंद्र -सावर्णि मनु वर्तमान  म नु, 7 वे वैवस्वत मनु ...

त्वष्टा और दधीचि Part AQ

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व्रहमा के  पुत्र अंगिरा ऋषि थे। अंगिरा के पुत्र वृहस्पति थे । .वृहस्पति  देवताओं के गुरु थे। इंद्र देवताओं के राजा थे एक बार इंद्र अपनी पत्नी शची के साथ अपनी सभा में बैठे हुए थे। उनकी सभा में 49 मरुद्गण ,8 वसु ,11 रूद्र ,आदित्य ,ऋभु गण विश्वेदेव ,2 अश्विनी कुमार ,गंधर्व ,अप्सराएं ,किन्नर ,नाग आदि सभी उपस्थित थे तभी गुरु वृहस्पति वहां जा पहुंचे वे पूरी सभा के गुरु थे सभी ने उठकर उनका सम्मान किया और हाथ जोड़कर अभिवादन किया किन्तु इंद्र अपने ऐश्वर्य , वैभव और अहंकार के कारण अपने स्थान से नहीं उठे इसे वृहस्पति ने अपना अपमान समझा और वे सभा से  उठकर बाहर चले गए।  वृहस्पति के चले जाने से इंद्र को दुःख हुआ और उन्हें अपनी गलती का अनुभव हुआ। इंद्र ने अपनी सभा में स्वयं निंदा की । इंद्र ने वृहस्पति का पता किया पर वे नहीं मिले। वृहस्पति के बिना इंद्र ने अपने आप को असुरक्षित समझा। तब देवताओ ने निर्णय लिया कि ब्रह्मा जी के पास जाकर समस्या का समाधान किया जाय।  देवताओं के शत्रु असुर देवताओं को क्षति पहुंचाते थे और देवताओं के कार्यों में बड़ी रूकावट उत्पन्न ...

Kadru Vinita & Diti कद्रू विनीता और दिति Part AP

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कश्यप की  13 पत्नियां  थी ।उन 13 के नाम थे।  1- अदिति  , 2 - दिति , 3- दनु ,4- काला,  5- दनायु ,6- सिंघका, 7 -क्रोधा, 8- प्राधा, 9- विश्वा ,10-मुनि    11- कपिला, 12-  विनता , 13-  कद्रू। 1- अदिति   का विवाह हुआ कश्यप से।  कश्यप  के पुत्र हुए विवस्वान ,विवस्वान के पुत्र हुए इंद्र और मनु 2-  दिति  की कहानी हम सुन ही चुके है जिसका पुत्र हिरणाकश्यप था।दक्ष  की 13 पुत्रियां थी जिसमे एक  का नाम दिति था ,दिति के पुत्र का नाम हिरण्यकश्यप था     हिरण्यकश्यप  असुर जाति का था।  जिसकी पत्नी  का नाम कयाधु था। हिरण्यकश्यप के पांच पुत्र हुए प्रह्लाद सँहाद ,अनुहाद, शिबि ,और वाष्कल था ।प्रह्लाद एक अद्भुत बालक था जो विष्णु का भक्त था।  प्रह्लाद के तीन पुत्र थे विरोचन ,कुम्भ,निकुम्भ।विरोचन के पुत्र का नाम बलि और बलि के पुत्र का नाम बाणासुर था। वाणासुर भगवन शंकर का भक्त हुआ। वाणासुर ही महाकाल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद के पिता विष्णु भगवान...

कश्यप की पत्नियां Queen of Kshyap Part AO

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कश्यप  ऋषि  मरिच  के पुत्र थे।  दक्ष की 13 पुत्रियां ही कश्यप की पत्नियां हुई।अदिति ,दिति ,दनु ,काष्टा ,अनिष्ठा ,सुरसा ,इला ,मुनि ,क्रोधा ,सुरभि ,सरमा ,ताम्रा ,तिमि , 1 - अदिति   से 12 आदित्य (देवता  2 -दिति से दैत्य -हिरणाकश्यप हुआ जिसका पुत्र प्रह्लाद था पार्ट N देखे  3  -दनु   से दानव,61 पुत्र  4 - काष्ठ से अश्व आदि एक खुर वाले पशु  5 -अरिष्ठा  से गन्धर्व 6 -सुरसा से राक्षस ,यातुधान  7 -इला से वृक्ष लता आदि वनस्पतियां  8 -मुनि  से अप्सरागण 9-क्रोधा  या क्रूरा  से सर्प  विच्छू और एक गण  10-सुरभि  से गौ और महिष दो खुर वाले पशु  11-सरमा  से सियार ,व्याग्र हिंसक पशु  12-ताम्रा  से श्येन-गृध्र आदि चील,बाज ,गिद्ध आदि  शिकारी पक्षी।  13-तिमि से यादोगण (जलजन्तु)  3 दनु के 61 पुत्रो में जो मुख्य थेअब  उन्हें समझे दिवमूर्धा ,शम्बर ,अरिष्ट ,हयग्रीव ,विभावसु ,अयोमुख ,शंकुशीरा ,स्वर्भानु ,कपिल ,अरु...

दक्ष dakxh Part AN

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पृथु  का वंश या  ध्रुव  का वंश एक ही है , स्वयंभू म नु के दो पुत्र थे प्रियव्रत और  उत्तानपाद।  उत्तानपाद  के दो पुत्र हुए  ध्रुव  और उत्तम।  ध्रुव  के पुत्र हुए कल्प और  वत्सर ।  वत्सर  के    पुष्पार्ण ,  तिग्मिकेतु  इष ,ऊर्ज  वसु   और  जय  नामक 6 पुत्र हुए।    पुष्पार्ण  के प्रदोष  ,निशीथ और     व्युष्ट   ये ।   व्युष्ट  के   चक्षु।   चक्षु     से   उल्मुक ।  उल्मुक   से  अंग।  .अंग  से  वेन ।  वेन  से  पृथु ।  पृथु  से  विजिताश्व  ,व्रक ,द्रविण हर्यक ,धूम्रकेश 5 पुत्र हुए ।  विजिताश्व  की दो पत्नी थी  शिखंडनी  से पावक ,पवमान ,शुचि 3 पुत्र हुए।  दूसरी पत्नी  नभस्वति  से  हविर्धान  नामक पुत्र हुआ।   हविर्धान  से  बहिर्षद  ,गए ,शुक्ल ,कृष्ण ,स...

राजा ऋषभ और भरत King Rishabh & Bharat Part AM

अब हम राजा ऋषभ के बारे में जानते है  मनु के पुत्र प्रियव्रत ,प्रियव्रत के पुत्र आग्नीघ्र ,आग्नीघ्र के पुत्र नाभि और नाभि के पुत्र हुए ऋषभ ,इसी वंश में आगे राजा भरत हुए है जिनके नाम से इस देश का नाम भारत हुआ है। अब आप राजा ऋषभ की कहानी सुने। राजा नाभि के कोई संतान न थी इसलिए उन्होंने पत्नी मेरु देवी के सहित भगवान यज्ञ पुरुष की आराधना की ऋत्वजो ने यज्ञ आदि किये भगवान की प्रार्थना की ,प्रसन्न होने पर भगवान ने स्वयं ही उनके पुत्र के रूप में जन्म लिया . जो ऋषभ कहलाये। यह भगवान श्री हरि का एक अवतार हुआ। ऋषभ देव अजनाभ खंड [  जो बाद में भारत वर्ष  कहलाया ] के राजा हुए। इनका विवाह इंद्र की कन्या जयंती से विवाह हुआ। जिससे 100 पुत्रो का जन्म हुआ। इनमे सबसे बड़े पुत्र का नाम भरत था। भरत के नाम पर ही इस देश का नाम भारत वर्ष हुआ। जयंती के 81 पुत्र वेद पाठी और भगवत भक्ति में डूबे रहने के कारण ब्राह्मण हो गए थे। शेष 9 पुत्र ही राजा  हुए और शासन में सहयोग करते थे। राजा ऋषभ एक बार अपने भगवत भक्त पुत्रो को [जो ब्रह्म प्रदेश में तपस्या के लिए चले गए थे ] शिक्षा देने के लिए आय...

प्रियव्रत और रेवत ,तामस ,उत्तम मन्वन्तर Priyavrat Dynasty Part AL

स्वयंभू मनु के दो पुत्र थे उत्तानपाद और प्रियव्रत ,उत्तानपाद के बारे में पिछले Part AK में जाना था ,अब प्रियव्रत के वंश के बारे में जानते है। प्रियव्रत  की दो पत्नी थी जिसमे एक का नाम था बहिर्ष्मती ,बहिर्ष्मती विश्वकर्मा की पुत्री   थी ,विश्वकर्मा  की एक पुत्री जिसका नाम  संज्ञा था का विवाह विवस्वान से हुआ था ,विश्वकर्मा देवताओं के वास्तुकार थे,अर्थात वे महल, किला ,भवन और मायानगरी के निर्माता थे , प्रियव्रत की पत्नी  बहिर्ष्मती से 10 पुत्र हुए और एक कन्या हुई। उनके नाम 1- आग्नीघ्र    2 -इध्मजिन्ह  3-यञबाहु   4 -महावीर  5 हिरण्यरेता  6 -घृतपृष्ठ  7 -सवन  8-मेधातिथि   9-वीतिहोत्र   10 -कवि। इन दस पुत्रो के अतरिक्त एक पुत्री भी थी जिसका नाम ऊर्जस्वती था ,जिसका विवाह असुरो के गुरु शुक्राचार्य से हुआ था।   प्रियव्रत की दूसरी पत्नी से उत्तम ,तामस ,रैवत ये तीन पुत्र हुए जिनके नाम से तीन मन्वन्तरों के नाम हुए। मन्वन्तर समय की माप के लिए युग से बड़ी इकाई को कहते है। प्रथम ...

पृथु का वंश Dynasty of Prathu Part AK

पृथु का वंश या ध्रुव का वंश एक ही है , स्वयंभू म नु के दो पुत्र थे प्रियव्रत और उत्तानपाद।  उत्तानपाद के दो पुत्र हुए ध्रुव और उत्तम।  ध्रुव के पुत्र हुए कल्प और वत्सर ।  वत्सर के    पुष्पार्ण , तिग्मिकेतु  इष ,ऊर्ज वसु   और  जय  नामक 6 पुत्र हुए।    पुष्पार्ण के प्रदोष  ,निशीथ और     व्युष्ट   ये ।   व्युष्ट के   चक्षु।   चक्षु     से   उल्मुक ।  उल्मुक   से  अंग।  .अंग से वेन ।  वेन से पृथु ।  पृथु से विजिताश्व ,व्रक ,द्रविण हर्यक ,धूम्रकेश 5 पुत्र हुए ।  विजिताश्व की दो पत्नी थी शिखंडनी से पावक ,पवमान ,शुचि 3 पुत्र हुए।  दूसरी पत्नी नभस्वति से हविर्धान नामक पुत्र हुआ।   हविर्धान से बहिर्षद ,गए ,शुक्ल ,कृष्ण ,सत्य ,जितवृत नामक 6 पुत्र हुए।   बहिर्षद   को ही प्राचीनबहेिृ नाम से जानते है।   प्राचीनबहेिृ का विवाह समुद्र की पत्नी शतुद्रित से हुआ था। ...

पृथु और इंद्र Prathu & Indra Part AJ

पृथु ने इस पृथ्वी को मानव जीवन के अनुकूल बनाया ,पहाड़ो को तोड़कर समतल किया ,कृषि योग्य वातावरण बनाया और मनुष्य को अभय किया ,मानव की भूख के लिए वनस्पतियो का उपयोग किया और गावों की रचना की वेदो को आत्मसात करके यज्ञो को पूर्ण करवाया ,ओषधियो का पता किया जैसे गौ पालक गौ का दूध निकलता है वैसे ही पृथ्वी के भंडार को पृथु ने मानव उपयोग में लिया ,पृथु की कीर्ति संसार में बढ़ती ही जा रही थी इससे घबराकर इंद्र को परेशानी हुई। इंद्र को लगा की अब इंद्र की कोई अब याद नहीं करेगा संसार में सभी कार्य बिना इंद्र के भी हो सकेंगे ऐसा पृथु ने कर दिया है ,इंद्र पृथु के कर्यो में चुपके से बिध्न डालने लगा। पृथु के पुत्र का नाम था बिजिताश्व जो बहुत ही प्रतापी और शक्तिशाली था।  एक दिन राजा पृथु अपना अंतिम और 99बां यज्ञ कर रहे थे इंद्र ने  पाखंडी धर्मिक वेष पहनकर यज्ञ में आया, जिससे उसे कोई पहचान न सके और चुपके से पृथु के यज्ञ के यज्ञ पशु को चुरा लिया। किन्तु अत्रि ऋषि ने इंद्र को पहचान लिया। अत्रि के कहने पर पृथु का पुत्र बिजिताश्व ने उस पाखंडी वेश धारी का पीछा किया और इंद्र को पकड़ने की कोशिस...

ध्रुव से पृथुः तक Dhruv to Prathu Part AI

जब ध्रुव जी त्रिलोकी को पार कर सप्त ऋषियों मण्डल से भी ऊपर पहुंच गए तब उनके दो पुत्र उत्कल और वत्सर   को राजपाट देने की बारी आई किन्तु उत्कल पागलो की तरह  व्यबहार करता था उसे राजपाट और भौतिक सुख से कोई मतलब न था वह तो गूंगा और बहरा समझा जाता था न कुछ बोलता न कहता अतः ध्रुव की पत्नी भ्रमि के छोटे पुत्र वत्सर को राजा बना दिया गया। वत्सर की पत्नी का नाम था स्वार्थी ,उससे पुष्पार्ण, तिग्मिकेतु  इष ,ऊर्ज वसु और जय नामक 6 पुत्र हुए।  पुष्पार्ण के प्रभा और दोषा नाम की दो पत्नियां थी। प्रभा के प्रातः ,मध्यान्ह ,और सायं तीन पुत्र हुए। दोषा के प्रदोष ,निशीथ और व्युष्ट ये तीन पुत्र हुए। व्युष्ट ने अपनी पत्नी पुष्करिणी सर्वतेजा  नाम के  पुत्र को जन्म दिया। सर्वतेजा की पत्नी आकूति   से चक्षु नाम के पुत्र का जन्म हुआ।  चक्षु  से ही चाक्षुस मन्वन्त र हुआ। यह 6वां मन्वन्तर [युग]  हुआ। चक्षु मनु की पत्नी नड्वला से पुरु ,कुत्स ,त्रित धुम्न ,सत्यवान, ऋत व्रत ,अग्निष्टोम ,अतिरात्रि ,प्रधुम्न ,शिबि , और उल्मूक ये 12 सत्वग...

ध्रुव Dhruv Part AH

स्वयम्भू  मनु और उनकी पत्नी शतरूपा  के दो पुत्र हुए  प्रियब्रत  औऱ  उत्तानपाद । ये दोनों ही पुत्र भगवन वासुदेव की कला से उत्पन्न होने के कारण ये संसार की रक्षा में तत्पर रहते थे।  प्रियव्रत के दस पुत्र हुए।  उत्तानपद  की दो पत्निया थी  सुनीत  और सुरुचि।राजा उत्तानपाद सुरुचि को अधिक प्रेम करते थे।   सुनीत से ध्रुव  और सुरुचि से उत्तम का जन्म हुआ।  एक बार पुत्र ध्रुव अपने पिता उत्तानपाद के पास खेलने चले गए और अपने पिता की गोद में बैठने लगे तभी दूसरा भाई उत्तम  आया वह भी पिता की गोद में बैठने की जिद करने लगा। पिता उत्तानपाद ने ध्रुव को गोद से हटाकर उत्तम को  अपने गोद में रख लिया इस पर ध्रुव को बहुत दुःख हुआ और वह रोये हुए अपनी माँ के पास पंहुचा।  पुत्र ध्रुव की बात सुनकर माता सुनीत को बहुत दुःख हुआ। सुनीत ने पुत्र को समझते हुए कहा की हम सभी उस परमात्मा की संताने है ,वह परम  पिता परमेश्वर ही सबका पिता हे। ध्रुव को यह बात बहुत जल्दी समझ आ गई ,ध्रुव अब ईश्वर को ही अपना असली पिता मानकर उसे प्राप्त...

शंकर पार्वती और दक्ष Dakxh, Shankar & Parvati Part AG

दक्ष प्रजापति की 16 कन्याएं थी जिनमे से 13 का विवाह धर्म से हुआ ,14 वीं का  अग्नि से,  15 वीं का शंकर से  , 16 वीं को पितृगण को दी गई।  अब शंकर पर्वती के वारे में सुनिए एक बार  प्रजापतियों  के यज्ञ में बड़े बड़े ऋषि मुनि शामिल हुए जिसमे शंकर भगवान भी ने शामिल थे तभी दक्ष प्रजापति ने सभा में प्रवेश किया सभी उन्हें देखकर ब्रह्मा जी और महादेव शंकर को छोड़कर सभी  देवता  हाथ जोड़कर खड़े हो गए ,सभी सभासदो से सम्मान पा कर दक्ष  ने ब्रह्मा जी को प्रणाम किया और ब्रह्मा जी के आदेश पर दक्ष भी अपने आसन पर बैठ गए , किन्तु  दक्ष ने जब देखा की महादेव शंकर जी उनसे पहले ही बैठे हुए है और शंकर जी से किसी प्रकार का सम्मान न पाकर  दक्ष को क्रोध आ गया और सोचा की मैंने अपनी कन्या इस शंकर को दी है यह मेरा तनिक भी सम्मान नहीं कर रहा है  तब  दक्ष ने भरी सभा में शंकर का अपमान किया और कहा "यह निर्लज्ज शंकर समस्त लोकपालों की इज्जत धूल में मिला रहा है ,देखिये इस घमंडी ने सत्पुरुषों के साथ क्या किया है...

मनु की पुत्रियां Daughter Of Manu Part AF

 सवयंभु मनु की तीन पुत्रियां और दो पुत्र थे 1- प्रियव्रत 2- उत्तानपाद   थे। तीन पुत्रियों के नाम थे।  1- देवहुति 2-प्रसूति 3-आकूति   मनु की पुत्री 1-देवहुति का विवाह कर्दम से हुआ था जिनके बारे में Part AE में बताया गया था अब  मनु की पुत्री 2-प्रसूति  और 3-आकूति बारे में जानिए ,मनु की पुत्री 2 -प्रसूति का विवाह हुआ ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति से जिनसे कुल 16 कन्यायें  हुई ,दक्ष ने 13 का विवाह किया धर्म से ,1 अग्नि से ,1 शंकर भगवान  से ,1 अपने पितृ गण को , धर्म की 13 पत्नियों के नाम 1-श्रद्धा  2-मैत्री  3-दया  4-शांति  5-तुष्टि  6-पुष्टि  7-क्रिया  8-उन्नति  9-बुद्धि  10-मेधा  11-तितिक्षा  12-ह्रीं [hream ]  13-मूर्ति   इन सब के पुत्र हुए  1-श्रद्धा से शुभ   2-मैत्री से प्रसाद   3-दया से अभय   4-शांति से सुख   5-तुष्टि से मोद   6-पुष्टि से अहंकार ...

ॠषि कर्दम Rishi Kardam Part AE

जब ब्रह्मा जी ने देखा कि सप्त ऋषि व् ब्रह्मा के पुत्र आदि सृष्टि के विकास में कुछ अधिक नहीं कर सके है और वंश परम्परा भी आगे नहीं बढ़ा रहे तब ब्रह्मा जी ने अपने शरीर के दो भाग किये ,दाएं भाग से स्वायम्भुव मनु पति हुए और बाएं भाग से  शतरूपा उनकी पत्नी हुई। मनु और शतरूपा से 5 संताने हुई। 1 -प्रियव्रत 2 -उत्तानपाद 3 -आकूति 4 - देवहुति 5 -प्रसूति 3 -आकूति का विवाह रूचि प्रजापति से किया ,4 -देवहुति का कर्दम से ,-5 -प्रसूति का दक्ष प्रजापति से किया अब आप कर्दम ऋषि की सन्तानो के बारे में समझे कर्दम ऋषि का जन्म ब्रह्मा की छाया [shadow ] से हुआ था  ,कर्दम ऋषि और उनकी पत्नी  देवहुति से एक पुत्र कपिल [सांख्य शास्त्र के रचियता ]और 9 पुत्रियां हुई जिनके नाम निम्न है।  1-कला , 2-अनुसुइया , 3-श्रद्धा , 4-हविर्भू , 5-गति , 6-क्रिया , 7- ख्याति ,8-अरुंधति , 9-शांति , 10-कपिल [पुत्र ] कर्दम ऋषि ने अपनी इन कन्याओं का विवाह Part P में दिए ब्रह्मा के 7 पुत्रो आदि में किया ,जिसमे 1 - कला का विवाह मरीच को 2 -अनुसुइया को अत्रि से 3-श्रद्धा का अंगिरा से 4-ह...