मरुद गण 49 Marud Bunch 49 Part AU


कश्यप की पत्नी दिति के दो पुत्र थे जिनके नाम थे 1- हिरण्याकश्यप और 2- हिरण्याक्ष। ये दोनों ही  दो दैत्य थे जिन्हे भगवान विष्णु ने किसी न किसी तरह से मार दिया था। दिति के 49 पुत्र और थे जिन्हे मरुद  गण कहा गया है। दिति ने इंद्र पर आरोप लगया कि उसने किसी न किसी तरह से हमारे दोनों पुत्रों को इंद्र ने विष्णु द्वारा मरवा दिया है। दिति ने अपने पति कश्यप  से प्रार्थना की और कहा कि देखो हमारी बहन और तुम्हारी दूसरी पत्नी अदिति के पुत्र इंद्र हमारे पुत्रों को मरवा देता है हमारे दो पुत्र मारे जा चुके है  हमे अब और पुत्र चाहिए ।दिति ने कश्यप से विनती की कि उसके ऐसा पुत्र हो जो इंद्र को मार सके।  कश्यप ने  दिति को एक व्रत करने को कहा जिसमे शर्त यह थी कि जल में घुस कर स्नान न करे ,क्रोध न करे ,दुष्टो से बात न करें ,विना धुला वस्त्र न पहने ,किसी की पहनी हुई माला न पहने ,भद्र काली का प्रसाद या मांस युक्त भोजन न ले ,अंजलि से पानी न पिए ,शूद्र का भोजन और रजस्वला स्त्री का देखा हुआ अन्न न खाये ,झूठे मुहं ,बिना चादर के ,बिना श्रृंगार के बाहर न जाए ,शाम के समय बाल न खोले ,बिना पैर धोये अपवित्र अवस्था में ,गीले पैर ,उतर या पश्चिम में सिर करके न सोएं ,सुबह शाम और नग्न अवस्था में भी न सोएं फिर कश्यप ने विष्णु की पूजा की और विधि भी बताई और कहा की इन नियमो का पालन करने से विष्णु की कृपा से इंद्र को मारने वाला तुम्हारा पुत्र होगा 
दिति नियमो का पालन करने लगी किन्तु इंद्र को शंका हुई कि दिति किसी नियम या  व्रत पालन कर रही है कहीं यह हमारे लिए कोई कुचक्र तो नहीं रच रही। इसलिए इंद्र चुपके से दिति पर ध्यान देने लगे ,जल्दी ही इंद्र को पता चल गया कि दिति उसके लिए मारने का उपाय कर रही है। अतः इंद्र दिति के नियम भंग होने की प्रतीक्षा करने लगे। एक दिन दिति बिना मुँह धोये झूठे मुँह रात में सो गई इंद्र ने देखा की दिति का नियम टूट रहा है वे अवसर देख कर दिति के गर्भ में प्रवेश कर गए और जो गर्भ दिति के पेट में था उसके 7 टुकड़े कर दिए जब वे गर्भ के टुकड़े विरोध करने लगे तो इंद्र ने  उन टुकड़ो से कहा कि हम तुम्हारे ही भाई है हम तुम्हे मारेंगे नहीं ,तुम्हारे 7 टुकड़ो के भी 7 करेंगे ,अब तुम 7 नहीं 49 पुत्र बन गए हो और मुझे मिलकर कुल 50 हुए है ,अब आप सब असुर न होकर सोमपायी मरुद बन गए हो , इस तरह से दिति के गर्भ के 49 टुकड़े हो गए। 
जब दिति की नींद खुली तो दिति ने इंद्र से पूछा कि मेरे एक गर्भ के 49 टुकड़े कैसे हुए ? इंद्र तुम तो मेरी बहन अदिति के पुत्र हो। तब इंद्र ने पूरी बात बताई कि मुझे भय था कही मुझे मारने योग्य पुत्र को आप जन्म न दे इसलिए मैंने आपके एक पुत्र को 49 पुत्रो में बदल कर उन्हें सोमपायी पार्षद बना दिया है ये देवताओं के समान है ये पूज्य है  मुझे मिलकर आपके कुल 50 पुत्र हुए है। इस प्रकार दिति के वे 49 पुत्र सोने के समान चमकते हुए मरुद गण कहलाए। 














Comments

Popular posts from this blog

Part J-Satyavati & king Shantun

वैवस्वत मनु & श्राद्धदेव Vaivsawt Manu or Shradhdev Manu Part AS

प्रियव्रत और रेवत ,तामस ,उत्तम मन्वन्तर Priyavrat Dynasty Part AL