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Showing posts from June, 2020

मरुद गण 49 Marud Bunch 49 Part AU

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कश्यप की पत्नी दिति के दो पुत्र थे जिनके नाम थे 1- हिरण्याकश्यप और 2- हिरण्याक्ष। ये दोनों ही  दो दैत्य थे जिन्हे भगवान विष्णु ने किसी न किसी तरह से मार दिया था। दिति के 49 पुत्र और थे जिन्हे मरुद  गण कहा गया है। दिति ने इंद्र पर आरोप लगया कि उसने किसी न किसी तरह से हमारे दोनों पुत्रों को इंद्र ने विष्णु द्वारा मरवा दिया है। दिति ने अपने पति कश्यप  से प्रार्थना की और कहा कि देखो हमारी बहन और तुम्हारी दूसरी पत्नी अदिति के पुत्र इंद्र हमारे पुत्रों को मरवा देता है हमारे दो पुत्र मारे जा चुके है  हमे अब और पुत्र चाहिए ।दिति ने कश्यप से विनती की कि उसके ऐसा पुत्र हो जो इंद्र को मार सके।  कश्यप ने  दिति को एक व्रत करने को कहा जिसमे शर्त यह थी कि जल में घुस कर स्नान न करे ,क्रोध न करे ,दुष्टो से बात न करें ,विना धुला वस्त्र न पहने ,किसी की पहनी हुई माला न पहने ,भद्र काली का प्रसाद या मांस युक्त भोजन न ले ,अंजलि से पानी न पिए ,शूद्र का भोजन और रजस्वला स्त्री का देखा हुआ अन्न न खाये ,झूठे मुहं ,बिना चादर के ,बिना श्रृंगार के बाहर न जाए ,शाम...

पुरूरवा Pururva Part AT

विवस्वान के पुत्र मनु , ,मनु के पुत्र इला ,इला के पुत्र  पुरुरवा  प्रतापी राजा थे ,पुरुरवा से आयु ,आयु से नहुष और नहुष से ययाति का जन्म हुआ था।  अब आप पुरुरवा की कहानी सुने। पुरुरवा का शासन बहुत बड़ा था ,समुद्र के तेरह द्वीपों पर उसका  शासन था किन्तु अमानुषिक कार्यो के कारण इसे सुख के साथ दुःख भी उठाने पड़े ,शास्त्र  इसके सम्बन्ध में दो तरह की कहानी सुनाते  है ,एक कहानी में स्वर्ग की अप्सरा  उर्वशी  को एक राक्षस   विमान में  रखकर उर्वशी को उसकी बिना  मर्जी के लिए जा रहा था ,उर्वशी उस  राक्षस से झगड़ा कर रही थी और रो रही थी ,यह देखकर पुरुरवा ने उस  राक्षस को मार दिया और उर्वशी को राक्षस की कैद से मुक्त कर दिया।  पुरुरवा की शक्ति और बल देखकर उर्वशी उस पर मोहित हो गई ,उर्वशी स्वर्ग की अप्सरा थी और पुरुरवा एक मानव था ,उर्वशी को वापस स्वर्ग जाना था किन्तु उसने राजा से शादी कर ली ,स्वर्ग के देवता इंद्र के तथा स्वर्ग के नियम के यह विरुद्ध था ,इस कारण पुरुरवा को दुःख उठाने पड़े एक दिन उर्वशी स्वर्ग के दूतो के कहने पर पुरुरवा...

वैवस्वत मनु & श्राद्धदेव Vaivsawt Manu or Shradhdev Manu Part AS

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हम जानते है कि कुल 14 मनु है। जिनमे से 6 पूर्व में हो चुके है और वर्तमान में सातवें मन्वन्तर में वैवस्वत मनु ही हमारे मनु है जिनका नाम वैवस्वत मनु है। इन्हे ही श्राद्धदेव मनु भी कहा जाता है। श्राद्धदेव मनु की पत्नी का नाम श्रद्धा है. दस प्रचेताओं की पत्नी मरिषा  से दक्ष का जन्म हुआ था ,दक्ष की पत्नी थी आक्सनी ,[एक दक्ष इससे पूर्व भी हुए थे जो ब्रह्मा के पुत्र थे जिनकी पत्नी का नाम था प्रसूति ,प्रसूति स्वयंभू मनु की पुत्री थी ,जो प्रथम मनु थे] दक्ष की पत्नी आक्सनी की 60 पुत्रियां थी जिनमे से 13 का विवाह कश्यप से हुआ था। उन तेरह कन्यायों में से एक का नाम था अदिति।  कश्यप और अदिति से 8 पुत्र हुए जिनमे एक का नाम  था विवस्वान  , विवस्वान की पत्नी संज्ञा थी। विवस्वान और संज्ञा से श्राद्धदेव मनु अर्थात वैवस्वत मनु का जन्म हुआ। वैवस्वत मनु के पुत्र हुए     वेन,धृष्णु ,नरिष्यन्त, नाभाग,इक्ष्छाकु ,कारूप ,शर्याति ,इला ,कन्या ,प्रषघ्र  और  नभारिष्ट हुए ,  मनु के 50 पुत्र और भी हुए पर वे आपस में लड़मर कर नष्ट हो गए थे।  वैवस्वत मनु प...

14 मनु Part AR

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मन्वन्तर समय की एक गणना है ,प्रत्येक मन्वन्तर में सतयुग ,त्रेता ,द्धापर और कलयुग होते है ,एक मन्वन्तर में 71  बार सतयुग ,त्रेता ,द्धापर और कलयुग होते है प्रत्येक  मनवन्तर में एक मनु होता है पुराणों में  कुल 14 मनुयों का विवरण है,वर्तमान में सातवां मन्वन्तर चल रहा है ,इसके वैवस्वत मनु है  वैवस्वत मनु ही हमारे मनु है। मनु ने ही वर्तमान सृष्टि का निर्माण किया। समय के अनुसार कुल 14 मनु हुए है ,वर्तमान मनु का नाम वैवस्वत मनु है। कुल 14 मनु का नाम है - 1 -स्वयंभू मनु 2 -स्वरोचित मनु  3 -उत्तम मनु  4 -तामस मनु                                                          5 -रेवत मनु 6 -चाक्षुसी  मनु 7 - वैवस्वत मनु 8 -सावर्णि मनु 9 -दक्ष-सावर्णि मनु १०-व्रह्म -सावर्णि मनु 11 -रूद्र -सावर्णि मनु 12 -देव -सावर्णि मनु 13 -रौच्य -सावर्णि मनु 14 -इंद्र -सावर्णि मनु वर्तमान  म नु, 7 वे वैवस्वत मनु ...

त्वष्टा और दधीचि Part AQ

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व्रहमा के  पुत्र अंगिरा ऋषि थे। अंगिरा के पुत्र वृहस्पति थे । .वृहस्पति  देवताओं के गुरु थे। इंद्र देवताओं के राजा थे एक बार इंद्र अपनी पत्नी शची के साथ अपनी सभा में बैठे हुए थे। उनकी सभा में 49 मरुद्गण ,8 वसु ,11 रूद्र ,आदित्य ,ऋभु गण विश्वेदेव ,2 अश्विनी कुमार ,गंधर्व ,अप्सराएं ,किन्नर ,नाग आदि सभी उपस्थित थे तभी गुरु वृहस्पति वहां जा पहुंचे वे पूरी सभा के गुरु थे सभी ने उठकर उनका सम्मान किया और हाथ जोड़कर अभिवादन किया किन्तु इंद्र अपने ऐश्वर्य , वैभव और अहंकार के कारण अपने स्थान से नहीं उठे इसे वृहस्पति ने अपना अपमान समझा और वे सभा से  उठकर बाहर चले गए।  वृहस्पति के चले जाने से इंद्र को दुःख हुआ और उन्हें अपनी गलती का अनुभव हुआ। इंद्र ने अपनी सभा में स्वयं निंदा की । इंद्र ने वृहस्पति का पता किया पर वे नहीं मिले। वृहस्पति के बिना इंद्र ने अपने आप को असुरक्षित समझा। तब देवताओ ने निर्णय लिया कि ब्रह्मा जी के पास जाकर समस्या का समाधान किया जाय।  देवताओं के शत्रु असुर देवताओं को क्षति पहुंचाते थे और देवताओं के कार्यों में बड़ी रूकावट उत्पन्न ...

Kadru Vinita & Diti कद्रू विनीता और दिति Part AP

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कश्यप की  13 पत्नियां  थी ।उन 13 के नाम थे।  1- अदिति  , 2 - दिति , 3- दनु ,4- काला,  5- दनायु ,6- सिंघका, 7 -क्रोधा, 8- प्राधा, 9- विश्वा ,10-मुनि    11- कपिला, 12-  विनता , 13-  कद्रू। 1- अदिति   का विवाह हुआ कश्यप से।  कश्यप  के पुत्र हुए विवस्वान ,विवस्वान के पुत्र हुए इंद्र और मनु 2-  दिति  की कहानी हम सुन ही चुके है जिसका पुत्र हिरणाकश्यप था।दक्ष  की 13 पुत्रियां थी जिसमे एक  का नाम दिति था ,दिति के पुत्र का नाम हिरण्यकश्यप था     हिरण्यकश्यप  असुर जाति का था।  जिसकी पत्नी  का नाम कयाधु था। हिरण्यकश्यप के पांच पुत्र हुए प्रह्लाद सँहाद ,अनुहाद, शिबि ,और वाष्कल था ।प्रह्लाद एक अद्भुत बालक था जो विष्णु का भक्त था।  प्रह्लाद के तीन पुत्र थे विरोचन ,कुम्भ,निकुम्भ।विरोचन के पुत्र का नाम बलि और बलि के पुत्र का नाम बाणासुर था। वाणासुर भगवन शंकर का भक्त हुआ। वाणासुर ही महाकाल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद के पिता विष्णु भगवान...

कश्यप की पत्नियां Queen of Kshyap Part AO

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कश्यप  ऋषि  मरिच  के पुत्र थे।  दक्ष की 13 पुत्रियां ही कश्यप की पत्नियां हुई।अदिति ,दिति ,दनु ,काष्टा ,अनिष्ठा ,सुरसा ,इला ,मुनि ,क्रोधा ,सुरभि ,सरमा ,ताम्रा ,तिमि , 1 - अदिति   से 12 आदित्य (देवता  2 -दिति से दैत्य -हिरणाकश्यप हुआ जिसका पुत्र प्रह्लाद था पार्ट N देखे  3  -दनु   से दानव,61 पुत्र  4 - काष्ठ से अश्व आदि एक खुर वाले पशु  5 -अरिष्ठा  से गन्धर्व 6 -सुरसा से राक्षस ,यातुधान  7 -इला से वृक्ष लता आदि वनस्पतियां  8 -मुनि  से अप्सरागण 9-क्रोधा  या क्रूरा  से सर्प  विच्छू और एक गण  10-सुरभि  से गौ और महिष दो खुर वाले पशु  11-सरमा  से सियार ,व्याग्र हिंसक पशु  12-ताम्रा  से श्येन-गृध्र आदि चील,बाज ,गिद्ध आदि  शिकारी पक्षी।  13-तिमि से यादोगण (जलजन्तु)  3 दनु के 61 पुत्रो में जो मुख्य थेअब  उन्हें समझे दिवमूर्धा ,शम्बर ,अरिष्ट ,हयग्रीव ,विभावसु ,अयोमुख ,शंकुशीरा ,स्वर्भानु ,कपिल ,अरु...

दक्ष dakxh Part AN

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पृथु  का वंश या  ध्रुव  का वंश एक ही है , स्वयंभू म नु के दो पुत्र थे प्रियव्रत और  उत्तानपाद।  उत्तानपाद  के दो पुत्र हुए  ध्रुव  और उत्तम।  ध्रुव  के पुत्र हुए कल्प और  वत्सर ।  वत्सर  के    पुष्पार्ण ,  तिग्मिकेतु  इष ,ऊर्ज  वसु   और  जय  नामक 6 पुत्र हुए।    पुष्पार्ण  के प्रदोष  ,निशीथ और     व्युष्ट   ये ।   व्युष्ट  के   चक्षु।   चक्षु     से   उल्मुक ।  उल्मुक   से  अंग।  .अंग  से  वेन ।  वेन  से  पृथु ।  पृथु  से  विजिताश्व  ,व्रक ,द्रविण हर्यक ,धूम्रकेश 5 पुत्र हुए ।  विजिताश्व  की दो पत्नी थी  शिखंडनी  से पावक ,पवमान ,शुचि 3 पुत्र हुए।  दूसरी पत्नी  नभस्वति  से  हविर्धान  नामक पुत्र हुआ।   हविर्धान  से  बहिर्षद  ,गए ,शुक्ल ,कृष्ण ,स...