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राजा वलि King Vali Part AW

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हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष दोनों भाई थे इनकी माता का नाम दिति था और इनके पिता का नाम कश्यप था। हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष पिछले जन्म में जय और विजय के नाम के भगवान विष्णु के पार्षद [दरवारी ]थे . ,एक बार भगवान् श्री हरि जब योग मुद्रा में थे तब लक्ष्मी जी को भगवान् से मिलने को इन जय विजय ने रोका था और एक बार  सनकादि ऋषियों ने भी जब श्री हरि से मिलना चाहा तब भी इन जय विजय ने रोका था तब ऋषियों ने जय विजय को श्राप दिया और उन्हें दैत्य रूप में हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष के नाम से  जन्म लिया। हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष में सबसे पहले दिति के गर्भ में जो आया वह हिरण्यकशिपु था और जिसने सबसे पहले जन्म लिया वह  हिरण्याक्ष  हुआ।  हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रह्लाद हुए ,प्रह्लाद के पुत्र वलि हुए। वलि इंद्र को भी जीतने वाला दैत्य हुआ। एक दिन  हिरण्याक्ष सभी लोकपालों देवताओं को स्वर्ग में  डराते हुए वरुण देव की राजधानी विभावरीपुरी में जा पहुंचा और वरुण देव की हसीं की तब वरुणदेव ने उसे रसातल में विष्णु भगवान के पास जाने को कह दिया और कहा भला तुमसे शक्तिशाली कौन होगा ज...

हिरण्यकशिपु Hirnyakashipu Part AV

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दिति के दो पुत्र थे हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष जिसमे हिरण्याक्ष का वध विष्णु जी ने वराह अवतार लेकर कर दिया था और पृथ्वी को रसातल से लाकर लोक कल्याण और सृष्टि के लिए बचा लिया था जिसका विरोध हिरण्याक्ष ने किया था किन्तु मारा गया इससे हिरण्यकशिपु विष्णु का विरोधी हो गया। हिरण्यकशिपु ने अपने भाई हिरण्याक्ष के मारे जाने का आरोप विष्णु पर लगाया और अपने परिवार के लोगो द्धिमूर्धा ,त्रयक्षः ,शम्बर ,शतवाहु ,हयग्रीव ,नमुचि ,पाक विप्रचित्त  ,इल्वल   ,पुलोमा ,और शकुनि आदि से कहा देखो इस विष्णु ने हमारे भाई का वध किया है इसलिए हम विष्णु से बदला लेंगे इसके लिए वह मंदराचल पर्वत पर जाकर ब्रह्मा की तपस्या करने लगा उसने प्रण लिया की वह सम्पूर्ण जगत का राजा बनेगा और विष्णु का नाम मिटा देगा जगत में असुरों का ही राज रहेगा।  हिरण्यकशिपु की तपस्या से देवता भी विचलित हो गए वे भी ब्रह्मा से प्रार्थना करने लगे और ब्रह्मा से जाकर मिले तब ब्रह्मा जी स्वयं  हिरण्यकशिपु से मिले और तपस्या न करने की बात की फिर भी ब्रह्मा जी ने  हिरण्यकशिपु को आशीर्वाद में बहुत कुछ शक्ति दे दी। शक्...